जीवनी/आत्मकथा >> रानी लक्ष्मीबाई रानी लक्ष्मीबाईवृंदावनलाल वर्मा
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इस पुस्तक में 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की उज्वल मणि लक्ष्मीबाई को प्रत्यक्ष अनुभव कर सकते हैं।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
इस पुस्तक में 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की उज्वल मणि लक्ष्मीबाई को प्रत्यक्ष अनुभव कर सकते हैं। यह लक्ष्मीबाई का वह भव्य चित्र है जिसने स्वतंत्रता संग्राम के सैनिकों को दशकों तक अनुप्रेरित किया है।
डा. वृन्दावनलाल वर्मा (1889-1969) हिंदी के एक सफल और ख्याति प्राप्त उपन्यासकार थे। आपने अपने ऐतिहासिक उपन्यासों और छोटी कहानियों के द्वारा हिंदी साहित्य का संवर्धन किया। आपकी रचनाओं के पात्र सजीव हैं और उनके आचार-विचार व अन्तर्वृत्रियों में आज हमारे ग्रामीण समाज के बदलते हुए रूप का आभास मिलता है। वर्माजी को उनकी साहित्य सेवाओं के लिए पदृमभूषण एवं सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
इस पुस्तक में हम उनके कृतित्व के जरिए 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की उज्वल मणि लक्ष्मीबाई को प्रत्यक्ष कर सकते हैं। यह लक्ष्मीबाई का वह भव्य चित्र है जिसने स्वतंत्रता संग्राम के सैनिकों को दशकों तक अनुप्रेरित किया है।
डा. वर्मा की रचनाओं का अनुवाद रूसी,मराठी,गुजराती,कन्नड़, मलयालम, ओड़िया, सिंधी, पंजाबी, डोगरी और उर्दू भाषाओं में भी हो चुका है।
डा. वृन्दावनलाल वर्मा (1889-1969) हिंदी के एक सफल और ख्याति प्राप्त उपन्यासकार थे। आपने अपने ऐतिहासिक उपन्यासों और छोटी कहानियों के द्वारा हिंदी साहित्य का संवर्धन किया। आपकी रचनाओं के पात्र सजीव हैं और उनके आचार-विचार व अन्तर्वृत्रियों में आज हमारे ग्रामीण समाज के बदलते हुए रूप का आभास मिलता है। वर्माजी को उनकी साहित्य सेवाओं के लिए पदृमभूषण एवं सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
इस पुस्तक में हम उनके कृतित्व के जरिए 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की उज्वल मणि लक्ष्मीबाई को प्रत्यक्ष कर सकते हैं। यह लक्ष्मीबाई का वह भव्य चित्र है जिसने स्वतंत्रता संग्राम के सैनिकों को दशकों तक अनुप्रेरित किया है।
डा. वर्मा की रचनाओं का अनुवाद रूसी,मराठी,गुजराती,कन्नड़, मलयालम, ओड़िया, सिंधी, पंजाबी, डोगरी और उर्दू भाषाओं में भी हो चुका है।
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